या देवी सर्व भूतेषु, मातृ रूपेण संस्थिता... के मंत्रोच्चारण के साथ ही माता रानी के पट भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिये गए। इसी क्रम में जिले के सिमरी स्थित काली मंदिर व कालरात्रि मंदिर क्षेत्रीय लोगों के आस्‍था का प्रमुख केन्‍द्र बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि माता रानी के पूजन अर्चन एवं महाआरती में सम्मिलित होंने से अभीष्‍ट फल की प्राप्ति होती है। जिसका नजारा प्रतिदिन  मंदिर परिसर में देखने को भी मिलता है। अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की अपार भीड़ मां की एक झलक पाने को लोग बेताब रहते है। वैदिक पूजनो परान्‍त जैसे ही मां का दरवार आम श्रद्धालुओं के लिए खुलाता है ‘या देवि सर्व भूतेषु, मातृ रूपेण संस्थिता’ के जयघोष से पूरा ईलाका गूंज हो जाता है।


विदित हो कि सिमरी स्थित कालरात्रि मंदिर जिले का इकलौता मंदिर है जहाँ देवी के सप्तम रूप की पूजा की जाती है। जिसके कारण यहाँ सालो भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है। साथ ही मनेरवंशीय लोगों के आस्था का प्रमुख केंद्र भी है।

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