नवरात्र के पहले दिन करें घट स्थापना, जानें मुहूर्त, पूजा, मंत्र व विधि




शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 29 सितंबर दिन रविवार से हो रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। पहले दिन विधि विधान से घट या कलश स्थापना की जाती है। घट स्थापना के लिए पहले से तैयारी करनी जरूरी है। शुभ मुहूर्त में घट स्थापना फलदायी माना जाता है। यदि आप स्वयं अपने घर पर कलश या घट स्थापना करना चाहते हैं तो हम आपको कलश स्थापना की विधि, पूजा, मंत्र और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं।

कलश या घट स्थापना का मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ: 28 सितंबर रात 11:56 बजे से।

प्रतिपदा तिथि का समापन: 29 सितंबर 08:14 बजे।

इस वर्ष 29 सितंबर को कलश स्थापना के लिए वर्जित चित्रा एवं वैधृति दोष नहीं है, ऐसे में आप सूर्योदय के बाद कलश स्थापना कर सकते हैं। इसके अलावा आप अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करना चाहते हैं तो उसका शुभ समय दिन में 11:36 बजे से दिन में 12:24 बजे तक है। सूर्योदय के बाद और अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करना शुभ होता है।

अन्य शुभ मुहूर्त

सुबह 07:42 से सुबह 09:11 बजे तक।

सुबह 09:11 बजे से 10:40 बजे तक।

सुबह 10: 41 बजे से 12:10 बजे तक।

कलश स्थापना की सामग्री

मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य, अबीर, गुलाल, स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल, चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्ध घी, वस्त्र, आभूषण, बिल्ब पत्र, यज्ञोपवीत आदि।

कलश स्थापना विधि

प्रतिपदा के दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद कलश स्थापना के लिए पहले सामग्री एकत्र कर लें। फिर सबसे पहले चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद दुर्गा माता के बाईं तरफ सफेद वस्त्र बिछा दें। उस पर चावल के 9 कोष्ठक नव ग्रह के लिए एवं लाल वस्त्र पर 16 कोष्ठक षौडशामृत के बनाने हैं।

इसके पश्चात आप कलश के गले में रक्षासूत्र या मौली बांध दें और उस पर स्वास्तिक बना दें। फिर नारियल पर भी मौली बांध लें। अब कलश को स्थापित करके उसके नीचे गेहूं या चावल रख दें। फिर कलश में जल भर कर उसमें आम की हरी पत्तियां डालें और कलश के उपरी हिस्से पर मिट्टी के पात्र में चावल रखकर उस पर मौली बांधा हुआ नारियल स्थापित कर दें।

इसके बाद तेल का दीपक एवं शुद्ध घी का दीपक जलाएं। अब एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी और थोड़ा जल डालकर उसमें जौ डाल दें। जौ वाले पात्र को माता की चौकी के बाईं तरफ कलश के पास स्थापित कर दें।

व्रत का संकल्प

कलश स्थापना के बाद आप दाहिने हाथ में जल लेकर नवरात्रि के व्रत का संकल्प लें और दुर्गा पूजन का प्रारंभ करें।

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